जन्म स्थान (Birthplace) : लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत | उम्र (Age): 42 | विवाहित स्थिति (Marital Status) : Unmarried |
कौन हैं अमोघ लीला प्रभु (Amogh Lila Prabhu) ?
अमोघ लीला (Amogh Lila) वर्तमान समय में द्वारिका इस्कॉन के उपाध्यक्ष है, साथ ही भगवत गीता के माध्यम से युवा पीढी को अध्यात्म मार्ग पर चलने के लिये प्रेरित कर रहे है। इस्कॉन पूरी दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाली संस्था है। चार सम्प्रदायों में एक है माधवाचार्य सम्प्रदाय जिसका हिस्सा है इस्कॉन.
अपनी अमृतमय वाणी और ऊर्जावान शब्दों से हमारी युवा पीढ़ी को कामयाबी की दिशा में ले जाने वाले माननीय श्री अमोघ लीला प्रभु जी एक आध्यात्मिक संत हैं । श्री अमोघ लीला प्रभु जी ये जानते हैं कि आज के जमाने में लोग आधुनिक जगत में जी रहे हैं जो आसानी से किसी बात पर जोर नहीं डालते, इसीलिए इनके द्वारा दिया गया धार्मिक ज्ञान भी वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर होता है। और विज्ञान को ध्यान में रखते हुए स्पीच देते है।
अमोघ लीला प्रभु या अमोघ लीला दास का वास्तविक नाम आशीष अरोड़ा है, जिनका जन्म एक पंजाबी परिवार में हुआ था। अमोघ जी के पिता रॉ एजेंसी में नौकरी करते थे, जो वर्तमान में रिटायर्ड होकर दिल्ली में अमोघ की माता जी के साथ रहते हैं। अमोघ की दो बहने हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। अमोघ अपने माता-पिता की एकलौती पुत्र संतान हैं, जो कि इस्कॉन में आजीवन ब्रम्हचारी संत हैं।
अमोघ लीला प्रभु जी का जीवन परिचय ( Amogh Prabhu Biography in Hindi)
हमने अमोघ लीला प्रभु जी का जन्म का नाम अर्थात वास्तविक नाम आशीष अरोरा है। इनका जन्म जुलाई सन् 1990 में उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। इनका जन्म जिस अरोरा परिवार में हुआ वो सामान्यतः पंजाबी अरोरा परिवार है अर्थात अमोघ लीला प्रभु जी के परिवार की मूल उत्पत्ति पंजाब है।
जन्म के लगभग 5 वर्ष बाद अमोघ लीला प्रभु जी भक्ति और आध्यात्मिक की ओर आकर्षित हुए।
लेकिन इन्होंने पूर्ण रूप से धार्मिक प्रचार एवं प्रसिद्धि तब लेनी चही जब ये अपने विद्यालय की पढ़ाई कर रहे थे और उस समय इन्होंने अपनी किताब में श्लोक पढ़ा जिसमें “मन” की प्रवत्ति के बारे में बताया गया था। इसमें जिस तरह मन के बारे में बताया गया था, ठीक उसी तरह इनका भी मन था, तब इन्हें लगा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि मेरे मन के बारे में ये श्लोक शत प्रतिशत जनता है। और इसी जिज्ञासा के कारण इन्होंने भक्तिकाल को ध्यान में रखना शुरू किया और आध्यात्मिक कि ओर बड़े।
इनकी शिक्षा किसी निश्चित स्थान पर नहीं हो सकी क्योंकि इनके पिता रॉ एजेंट थे जिसके कारण विभिन्न स्थानों पर स्थानांतरण होने से अमोघ लीला प्रभु जी को भी स्थान बदलना पढ़ता था और इनकी शिक्षा भी इसी के अनुसार चलती रही। इसी बीच ये हमारे देश के प्राचीनतम ग्रन्थ का अध्यन भी करते रहे।
तभी से लेकर आज तक इन्होंने कई शोध किए जिसमें इन्होंने सबूतों और विज्ञान के तथ्यों को भक्ति और महाग्रंथों से जोड़ा। और वर्तमान में पूरी दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं।
क्यों है चर्चा ?
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) ने श्रद्धेय आध्यात्मिक हस्तियों स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बारे में अनुचित टिप्पणी करने के लिए अपने प्रमुख भिक्षुओं में से एक अमोघ लीला दास के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है।
सोशल मीडिया पर उनके एक प्रेरक भाषण के दौरान की गई विवादास्पद टिप्पणियों ने तीखी बहस छेड़ दी है, जिसके बाद इस्कॉन को एक बयान जारी करना पड़ा और भिक्षु पर एक महीने का प्रतिबंध लगाना पड़ा।
जीवनी | हिंदी बायोग्राफी | विकिपीडिया
पूरा नाम (Name) | श्री आशीष अरोरा ( Ashish Arora) |
उपनाम (Nickname) | श्री अमोघ लीला प्रभु ( shree Amogh Lila Prabhu) |
पेशा (Profession) | मोटिवेशनल स्पीकर, आध्यात्मिक गुरु, सामाजिक कार्यकर्ता |
जन्म स्थान (Birthplace) | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
जन्म तिथि (Date of Birth) | 19 जुलाई सन् 1980 |
उम्र (Age) [as on 2022] | 42 years |
होमटाउन (Hometown) | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
लोकप्रियता का कारण | द्वारका मंदिर के उपाध्यक्ष एवं कृष्ण लीला वाचन |
राष्ट्रीयता (Nationality) | Indian |
शैक्षिक योग्यता (Educational qualification) | |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
विवाहित स्थिति (Marital Status) | Unmarried |

फैमिली (Family)
पिता का नाम (Father) | Not Known |
माता का नाम (Mother) | श्री मति अरोरा जी |
भाई (Brother) | Not Known |
बहन (Sister) | 2 बहने |
अमोघ लीला प्रभु जी के गुरु का नाम | गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज |
Other | Not Known |
अमोघ लीला प्रभु का प्रारंभिक जीवन ( Early life of Amogh Prabhu)
अमोघ लीला प्रभु उर्फ श्री आशीष अरोरा जी के जन्म उपरांत इनके पिता ने संतो को आमंत्रित किया उस दौरान आशीष अरोरा जी की जन्म कुंडली बनवाई गई जिसमें गुरुओं का कहना था कि ये पिछले जन्मों से भक्तिकाल के विशेष व्यक्ति रहे हैं और इस जन्म में भी ये आध्यात्मिक मार्ग को जरूर अपनाएंगे।
इसके बाद जैसे जैसे अमोघ जी बड़े हुए वैसे ही इनकी रुचि सच में आध्यात्मिक की ओर बढ़ने लगी। इनके पिता एक रॉ ऑफिसर थे जोकि काम में काफी व्यस्त व्यक्ति माने जाते थे। इनके पिता जी ने अपने बेटे आशीष अरोरा को अच्छी शिक्षा देने का हर संभव प्रयास किया और उत्तम शिक्षा दी। इनका स्थानांतरण होता रहा और इनके लिए अच्छे स्कूल को हमेशा चुना गया।
अमोघ जी ने इस दौरान काफी मेहनत की तथा शिक्षा में अव्वल रहे, इसके अलावा ये और भी हुनर सीखने में लगे रहते थे लेकिन वो भी आध्यात्मिक तथा भगवान की पूजा अर्चना के साथ! और भगवान की आस्था में लीन हो गए एक समय ऐसा आया जब श्री अमोघ लीला प्रभु जी भगवान श्री कृष्ण जी की तलाश में घर से निकाल गए।
क्योंकि स्वामी अमोघ जी भागवत गीता को भली भांति जान चुके थे और अपने जीवन में शांति चाहते थे इसी के चलते इन्होंने भगवान को खोजना शुरू कर दिया और घर से दूर निकल गए क्योंकि उस समय इन्हें गीता का ज्ञान था लेकिन बाल अवस्था में होने के कारण इस दुनिया के गलत कार्यों से परिचित नहीं थे और मासूम थे। भगवान को खोजना एक चाहत थी क्योंकि उन्ही के बारे में सोचते रहते थे।
हालांकि इन्होंने अपने स्कूली जीवन में काफी कुछ सीखा और कई खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन किया , अमोघ जी पढ़ाई में तो बेहतर छात्र थे ही,साथ में अन्य प्रतियोगी में भी अच्छा प्रदर्शन करते थे। इन्हें खेल कूद में भी रुचि थी और उनका हुनर भी रखते थे।
जैसे – क्रिकेट, बैडमिंटन, वॉलीबॉल, डांस, चित्रकला, गायन, फुटबाल, आदि। और इन सब के बावजूद वो पढ़ाई में हमेशा प्रथम श्रेणी में आते रहे!
यही बात थी कि वो सोचते थे कि भगवान ने उन्हें काफी कुछ दिया, इतना तीव्र दिमाग और शक्ति दी लेकिन हमने भगवान को कुछ नहीं दिया, इसीलिए हमें भी भगवान को कुछ जरूर देना चाहिए और इसी बात को लेकर वो घर से निकलकर भगवान को खोजने लगे थे।
वो कई मंदिर और धार्मिक स्थलों पर गए ताकि भगवान का पता मिल सके, इसी बीच ये संतो,पंडितों से भी भगवान का पता तक पूछ लेते थे !
फिजिकल स्टैट्स (Physical Stats)
ऊंचाई (Height) | फुट और इंच में – 5′ 10″ ft |
वज़न (Weight) | 70 Kg |
Body Shape | Chest: – inches Waist: – inches Biceps: – inches |
आँखों का रंग (Eye Color) | काला |
बालों का रंग (Hair Color) | – |
शिक्षा (Education)
शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification) | सॉफ्टवेयर इंजीनियर |
स्कूल (School) | Not Known |
कॉलेज (College/University) | Not Known |
लखनऊ से अमोघ प्रभु जी की शिक्षा शुरू हुई तथा बाद में इन्हें अलग अलग स्थानों पर स्कूली शिक्षा को पूरा करना पड़ेगा। सन् 2000 में इनके स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद सन् 2001 में इन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर में स्नातक करने हेतु एडमिशन लिया जोकि वर्ष 2004 तक पूरा हो गया।
ग्रेजुएशन में इन्हें 89 प्रतिशत अंकों के साथ उपाधि प्राप्त हुई और अच्छे अंक आने के कारण उनके विश्वविद्यालय द्वारा मास्टर डिग्री करने हेतु बिना टेस्ट लिए एडमिशन लेने की बात कही लेकिन उन्होंने मास्टर डिग्री नहीं की।
बाद में इसी साल यानी सन् 2004 में ही इन्हें सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी मिली जो लगभग 6 वर्षों तक की और सन् 2010 में इस नौकरी को छोड़ दिया। और ब्रम्हचारी बनने के लिए द्वारका चले गए।
अमोघ लीला प्रभु के करियर और सफलता की कहानी ( Career and Success Story)
अमोघ लीला प्रभु जी ने अपने कैरियर की शुरुआत एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर की थी। जिसमें इन्होंने लगभग 6 साल काम किया। और इसके बाद इनका जीवन पूरी तरह से आध्यात्मिकता की ओर चले गए।
अमोघ लीला प्रभु जी सन् 2010 में द्वारका आए और यहां वी लगभग 3 सालों तक ब्रम्हचारी बनकर रहे। और उसके बाद वो घर छोड़कर ISKCON Temple में रहने लगे और आज भी यहीं से भगवान की भक्ति के साथ साथ समाज सेवा में भी लगे हुए हैं।
अमोघ लीला प्रभु नेट वर्थ (Amogh Lila Prabhu Net Worth)
Assets/Properties
Assets/Properties | Not Known |
Net Worth | Not Known |

रिलेशनशिप एंड अफेयर
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | Unmarried |
अफेयर/ गर्लफ्रेंड (Affair/Girlfriend) | Not Available |
(Wife) | Not Available |
बच्चे (Children) | Not Available |
शादी की तारिख (Marriage Date) | Not Available |
अमोघ दास आध्यात्म की ओर कैसे आये | Amogh Lila Prabhu Spiritual Journey
जब अमोघ बचपन में अपने माता-पिता के साथ घर से बाहर जाया करते थे और रास्ते में यदि उन्हें कोई मंदिर, मस्जिद या चर्च कुछ भी दिख जाये तो वे उसके सामने खड़े होकर हाथ जोड़ते और सिर झुकाकर बोलते ‘जै’।
अमोघ बताते हैं कि उन्हें इन बातों की जरा भी समझ नहीं थी, पर उनकी मॉ उन्हें उनके बचपन की ये बातें बताती हैं तब अमोघ जी बड़े आर्श्चय में पड़ जाते हैं और सोचते हैं कि जिस उम्र में बच्चों को ये नहीं पता होता है कि मंदिर, मस्जिद व चर्च ये क्या होते हैं इनमें क्या होता है? उस उम्र में वे, ये सब किया करते थे. जबकि उन्हें किसी ने मंदिर, मस्जिद व चर्च के आगे सिर झुकाना सिखाया ही नहीं था।
अमोघ लीला प्रभु जी Amogh Lila कहते हैं कि यह उनके पूर्व जन्मों के संस्कार थे कि उनका बचपन से ही आध्यात्म के प्रति झुकाव था।
जब वे कक्षा 7वीं पढ़ते थे तो उनकी किताब में एक चेप्टर था, जिसमें भागवत गीता के सात श्लोक अर्थ सहित दिये गये थे। जिनमें से एक श्लोक में बताया गया कि मन बहुत चंचल है, मन बहुत बलवान है, यह किसी की भी नहीं सुनता।
तो जब अमोघ ने इसे पढ़ा तो उन्हें लगा कि यहॉ तो मेरे मन की बात बतायी जा रही है कि मेरा मन बहुत चंचल है, मेरा मन किसी की भी नहीं सुनता। तब वे सोचने लगे कि इस श्लोक को मेरे मन की बात कैसे पता चली? और वे जिज्ञासावश अपनी टीचर के पास गये और बोले कि मैम इसमें तो मेरे मन की बात को बताया जा रहा है, इसे कैसे पता कि मेरा मन चंचल है और मेरी सुनता नहीं है।
तब उनकी मैम ने कहा कि ये गीता के श्लोक है, जिसमें संपूर्ण मानव जाति के बारे में बताया गया है। अभी तुम्हारे सिलेबस में केवल 07 श्लोक ही है, वैसे तो संपूर्ण भागवत गीता में 700 श्लोक हैं।
तब अमोघ लीला दास Amogh Lila के मन में आया कि जब केवल सात श्लोकों ने मेरी इतनी पोल-पट्टी खोल दी तो 700 श्लोक तो मेरे पूरे जीवन के बारे में बता देंगे,
इसलिए उनके मन में भगवत गीता पढ़ने की उत्कंठा जगी और तभी से उनका भगवत गीता और आध्यात्म के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा।
श्रील प्रभुपाद और इस्कॉन के संपर्क में कैसे आये | How to join iskcon Amogh lila
अमोघ दास को भगवत गीता पढ़ने में बहुत ज्यादा रुचि थी, इसलिए वे करीब आठ लेखकों द्वारा लिखी गयी भगवत गीता को पढ़ चुके थे और इसके अलावा वे और भी कई लेखकों द्वारा लिखी गयी भगवत गीता को पढ़ने के लिए खोजा करते थे।
तो इसी खोज में उन्हें एक भगवत गीता मिली जो प्रभुपाद जी द्वारा लिखी गयी थी, उसको पढ़ने के बाद अमोघ दास को लगा कि मैंने इतनी सारी भगवत गीता पढ़ी हैं, लेकिन इस भगवत गीता में जो लिखा है उससे ऐसा लगता है कि इसे लिखने वाला आदमी जरुर ही भगवान कृष्ण को बहुत अच्छी तरह से जानता है या फिर भगवान कृष्ण के साथ रहा है।
क्योंकि प्रभुपाद जी की भगवत गीता में बहुत ही सरल शब्दों में भगवान कृष्ण के गीता सार को समझाया गया है।
तो यही सब बातें उनके दिमाग में चलती रही और 12वीं कक्षा पास करने के बाद 18 साल की उम्र में वर्ष 2000 में अमोघ लीला प्रभु Amogh Lila ने अपने माता-पिता के नाम एक चिट्ठी अपने कमरे में छोड़ दी . जिसमें लिखा था कि मैं भगवान को ढूढ़ने जा रहा हॅू, जब भगवान मिल जायेंगे तो उनको धन्यवाद देकर मैं घर वापस आ जाउंगा, और घर से भगवान की खोज में चले गये।
अमोघ दास अपने स्कूल टाइम में क्रिकेट, बैडमिंटन, बॉलीबॉल, डांसिंग, पेंटिंग, सिंगिग, फुटबाल, ड्राईंग, फैंसी ड्रेस, कविता लेखन इसके अलावा भी बहुत सारी प्रतिभाओं में निपुण थे। इसके साथ-साथ पढ़ाई में भी हमेशा अव्बल आते थे, इसलिए उनको लगता था कि भगवान ने मुझे कितना कुछ दिया है, पर मैंने भगवान को कुछ भी नहीं दिया है इसलिए मुझे भगवान को कम से कम धन्यवाद तो देना ही चाहिए, इसलिए भगवान को धन्यवाद देने वे घर से भाग गये।
वे कई मंदिरों, आश्रमों, संतो तथा बाबाओं के पास गये और उनसे भगवान का पता पूछा, पर कोई सफलता नहीं मिली। तब उन्हें अचानक ध्यान आया कि मैंने जो प्रभुपाद जी की भगवत गीता पढ़ी थी उसमें बहुत अच्छी बातें लिखी थी, इसलिए चलो इस्कॉन में ही चलते हैं
यह एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है तो वहॉ भ्रष्टाचार और भ्रामकता ज्यादा नहीं होगी, हो सकता है वहॉ भगवान मिल जायें। तो अमोघ Amogh Lila ईस्ट ऑफ कैलाश द्वारिका इस्कॉन मंदिर पहॅुचे, जहॉ वे तीन महीने ब्रम्हचारी के रूप में रहे और भगवान के प्रति जितने भी मन में सवाल थे, सभी सवालों के जवाब उन्हें वहॉ मिले और वे पूर्ण रूप से संतुष्ट हो गये कि कृष्ण ही भगवान हैं।
तीन महीने बाद वहॉ के संतों को अमोघ लीला Amogh Lila ने बताया कि वे घर से भागकर आये हैं, तब इस्कॉन वालों ने कहा कि यह तुमने गलत किया है तुम्हें अपने माता-पिता को बताना चाहिए तब उनके माता-पिता इस्कॉन टेम्पल आये और वहॉ से अमोघ को घर ले गये।
जहॉ फिर उनहोंने अपनी आगे की पढ़ाई शुरु कर दी। तो इस प्रकार उनका इस्कॉन टेम्पल से संपर्क हुआ। वर्ष 2010 में अमोघ Amogh Lila कृष्ण जन्माष्टमी के दिन इस्कॉन मंदिर में आकर पुन: ब्रम्हचारी बन गये जहॉ तीन साल तक रहे और वर्ष 2013 में वे द्वारिका इस्कॉन टेम्पल में आ गये। तब से लेकर आज तक प्रभुजी वहीं अपनी सेवायें दे रहे हैं और वर्तमान में द्वारिका इस्कान के उपाध्यक्ष हैं।
अमोघ दास के गुरु कौन हैं | Amogh lila ke guru
जब अमोघ ने श्रील प्रभुपाद जी की भगवत गीता पढ़ी तो उनके मन में यह ख्याल आया था कि यदि भविष्य में इनसे कभी मिलना हो पाया तो मैं इन्हीं से दीक्षा लूंगा। लेकिन अमोघ दास Amogh Lila की आध्यात्मिक यात्रा के शुरु होने के पहले ही श्रील प्रभुपाद जी ने शरीर छोड़ दिया था।
इसलिए अमोघ दास ने वर्ष 2006 में परम पूज्य गोपाल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज से ईस्ट ऑफ कैलाश में दीक्षा ली और उनके शिष्य बन गये।
अमोघ लीला प्रभु जी यूट्यूब यात्रा ( YouTube journey)
अमोघ लीला प्रभु जी ने यूटयूब चैनल लोगों तक जुड़ने के माध्यम से शुरू किया था जो 16 अगस्त सन् 2016 को “My Ashraya” नाम से खोला गया। इस चैनल पर चैनल शुरू होने के लगभग एक महीने बाद 21 दिसंबर सन् 2016 को गुरुजी द्वारा पहला वीडियो अपलोड किया गया जिसमें अमोघ लीला प्रभु जी दक्षिण भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों का भ्रमण कर रहे थे।
यह वीडियो “Thrill in south India” नामक टाइटल से अपलोड किया गया था।
अमोघ लीला प्रभु जी के इस चैनल पर अबतक लगभग एक हजार से भी अधिक वीडियो को अपलोड किया जा चुका है। जिसके कुल व्यूज 14 करोड़ से भी अधिक है।
अमोघ लीला प्रभु (Amogh Lila Prabhu) के बारे में कुछ तथ्य :
- Smoking : No
- Drinking : No
- अमोघ लीला प्रभु एक आध्यात्मिक प्रेरक वक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं और वर्तमान में द्वारका इस्कॉन के उपाध्यक्ष हैं।
- अमोघ लीला प्रभु का असली नाम आशीष अरोड़ा था, वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे।
- अमोघ लीला प्रभु के गुरु का नाम है- गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज जी।
- अमोघ लीला प्रभु के वीडियो माई आश्रय और हरे कृष्णा टीवी यूट्यूब चैनलों पर अपलोड किए जाते हैं।
- अमोघ लीला दास का जन्म एक पंजाबी परिवार में हुआ था, उनके पिता एक आरओ एजेंट थे। अमोघ लीला प्रभु की दो बहनें हैं, दोनों की शादी हो चुकी है।
- चूँकि उनके पिता आमतौर पर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों और उसके आसपास तैनात थे, आशीष अरोड़ा (उर्फ अमोघा लीला प्रभु) ने अपना अधिकांश बचपन वहीं बिताया।
- अपने बचपन के दौरान रॉ में अपने पिता की गतिशील नौकरी पोस्टिंग के कारण उन्होंने मिजोरम, गंगटोक, आइजोल, दार्जिलिंग के स्कूलों में पढ़ाई की।
- साल 2000 में 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद वह भगवान की तलाश में घर से भाग गए। हालाँकि, वह 4 महीने बाद घर लौट आए और अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया।
- अमोघ लीला प्रभु ने 89% अंकों के साथ बी.टेक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में स्नातक किया!
- अमोघ लीला प्रभु महज 13 साल की उम्र में इस्कॉन से जुड़ गए।
- हरे कृष्ण आंदोलन में अपना समय समर्पित करने के अलावा, वह एक उत्साही प्रेरक वक्ता और उत्साही सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।
- ट्विटर पर उनके 2,760 फॉलोअर्स हैं जो सक्रिय रूप से उनके प्रेरक कंटेंट से जुड़े रहते हैं।
- इसके अलावा, इस्कॉन दिल्ली यूट्यूब चैनल, जो आमतौर पर उनकी अनूठी सामग्री पेश करता है, के 11,40,000 ग्राहक हैं
अमोघ दास ने इस्कॉन को ही क्यों चुना:-
अमोघ के इस्कॉन से जुड़ने के तीन कारण थे।
पहला- भगवत गीता के प्रति आकर्षण।
दूसरा- भगवान को धन्यवाद बोलना है, (इसके बारे में आप उपर पढ़ चुके हैं कि वे भगवान को धन्यवाद क्यों बोलना चाहते थे)
और तीसरा- उनका मानना था कि लोगों के पास धन, दौलत, पैसा, गाड़ी, परिवार सब कुछ है, जिससे लोग बाहर से तो खुश हैं,
लेकिन मन के अंदर से बहुत दुखी हैं इसलिए वे चाहते थे कि लोगों के मन की सेवा की जाये जिससे वे अंदर से भी सुखी हो जायें। तो जब वे इस्कॉन में पहली बार आये तो उन्होंने अनुभव किया कि उनकी तीनों चीजों की पूर्ति इस एक ही जगह से हो जायेगी, क्योंकि यहॉ भगवत गीता पढ़ने को मिलेगी।
मेरे पास जो है उसे मैं लोगों की सेवा में लगाउंगा, तो भगवान का धन्यवाद हो जायेगा और मैं अपने ज्ञान से लोगों को समस्याओं का समाधान करूंगा, जिससे उनके मन की भी सेवा हो जायेगी। तो उनको केवल इस्कॉन में ही तीनों चीजों की पूर्ति होती हुयी दिख रही थी
इसलिए उन्होंने सोचा कि एक दिन मैं इस्कॉन में आकर हमेशा के लिए हरे कृष्णा ब्रम्हचारी बन जाउंगा और इसीलिए Amogh Lila इस्कॉन से जुड़े।
अमोघ जब संत बने तो उनके माता–पिता की प्रतिक्रिया:-
अमोघ दास Amogh Lila जी कहते हैं कि जब बच्चे छोटे होते हैं तो हर माता-पिता अपने बच्चे का भविष्य ज्योतिषी से दिखवाते हैं तो मेरे माता-पिता ने भी एक ज्योतिषी से मेरा भविष्य दिखवाया था तो उन्होंने मेरे माता-पिता को बताया था कि आपका बच्चा 18-20 साल की उम्र में भगवान को ढूढ़ने के लिए घर से भाग जायेगा और आगे जाकर संत हो जायेगा।
इसलिए उनके माता-पिता को जब वर्ष 2010 में यह पता चला कि उनका एकलौता लड़का आशीष अरोड़ा अब पूरी तरह से संत बनने जा रहा है तो थोड़ा दुख तो हुआ, लेकिन चूंकि उन्हें पहले से ही इस बात का आभाष था कि ये संत बनेगा तो धीरे-धीरे उन्होंने इस बात को स्वीकार कर लिया और आज उनके माता-पिता खुशी-खुशी अपने बच्चे अमोघ लीला पर गर्व करते हैं कि वह समाज की निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहा है और समाज को सही दिशा दे रहा है।
खुद अमोघ की माताजी भी वर्तमान में इस्कॉन में सेवा दे रही है। जब अमोघ के रिश्तेदारों को इस बारे में पता चला तो वे अमोघ को सलाह दिया करते थे कि देख बेटा ये साधु संत बनने में क्या रखा है? ये सब बहुत बदमाश होते हैं, तू इन चक्करों में मत पड़। तू तो इंजीनियर है, जवान है, पढ़ा लिखा है, सुंदर है इसलिए किसी से शादी कर और अपना घर बसा, क्योंकि यही एक साधारण जीवन होता है।
इसके अलावा अमोघ के स्कूल के दोस्त और ऑफिस के सहकर्मी भी इस बात को समझते थे कि यह बंदा अलग टाइप का है, यह साधारण नहीं है। यह आगे जाकर कुछ बड़ा करेगा, क्योंकि अमोघ पिछले जन्म में भी संत ही थे तो इस जन्म में उनकी आध्यात्मिक यात्रा शुरु से आरंभ नहीं हुयी, बल्कि वहीं से शुरु हुयी, जहॉ उन्होंने पिछले जन्म में छोड़ी थी।
क्योंकि आध्यात्मिक यात्रा का यही सिद्धांत होता है कि पिछले जन्म में हम जहॉ से छोड़ते हैं, इस जन्म में उसके आगे से शुरु होती है।
सबको निंदा चुगली ईष्या करने से रोकते थे, सबको खुश रहने के लिए कहते, जो मांसाहारी थे, उनको मांसाहार छोड़ने के लिए कहते इसलिए उनके दोस्त व उनके सहकर्मी उनसे अक्सर कहा करते थे कि तू तो संत है।
इसलिए उन्हें जब पता चला कि अमोघ अब पूरी तरह से संत हो गया है तो वे सब बहुत खुश हुये और उन्हें भी अपने साथी, अपने दोस्त पर गर्व है। इसके साथ-साथ अमोघ जिस कंपनी में काम करते थे उस कंपनी के बॉस आज भी द्वारिका इस्कॉन टेम्पल आते हैं और अमोघ को देखकर बहुत खुश होते हैं और उनकी खूब तारीफ करते हैं।
अमोघ दास Amogh Lila कहते हैं कि उनके हरे कृष्णा ब्रम्हचारी बनने के पहले, उनके जीवन में जितने भी लोग थे, वे उनसे केवल खुश रहा करते थे, लेकिन उनके हरे कृष्णा ब्रम्हचारी बनने के बाद वे सभी लोग उनसे बहुत-बहुत ज्यादा खुश रहते हैं और उनपर गर्व करते हैं।
अमोघ लीला प्रभु सबको हंसाते क्यों हैं:–
अमोघ लीला दास Amogh Lila जी कहते हैं कि हमारे समाज में माना जाता है कि भक्त बड़ी गंभीर प्रवृत्ति के होते हैंपर गंभीर होने का यह अर्थ नहीं कि हम हंसना ही भूल जायें।
गंभीर होने का मतलब है कि वह व्यक्ति अपने आध्यात्मिक जीवन को लेकर बहुत गंभीर है, जब वह भगवान का नाम लेता है तब वह गंभीर हो जाये, भगवत गीता पढ़े तो गंभीर होकर पढ़े। ऐसा नहीं कि वह घर परिवार समाज से बोलना ही बंद कर दे, हंसना ही बंद कर दे।
आध्यात्मिक यात्रा तो एक आनंददायक यात्रा है, इसकी यात्रा करने वाला तो प्रसन्न होता ही है और उसके संपर्क में आने वाले लोग भी प्रसन्नता से भर जाते हैं। भक्ति का गुण भी यही होता है कि भक्त परम सुख और परम शांति को प्राप्त कर ले।
हमारे जीवन में आध्यात्म की क्या जरूरत हैः–
अमोघ दास जी Amogh Lila कहते हैं कि जब वे संत बनने जा रहे थे तो उनके माता-पिता, रिश्तेदार, समाज और दोस्तों ने यही समझाया था कि तुम शादी करो और अपना घर बसाओ, यही एक सामान्य जीवन होता है।
आध्यात्म में जाकर कुछ हासिल नहीं होगा, क्योंकि हमें इसकी कोई जरूरत नहीं है। यह तो एक प्रकार की धारणा है, हॉ-हॉ ये भी करना चाहिए पर थोड़ा-थोड़ा। लेकिन यदि वास्तविकता में देखा जाये तो हमारे समाज के हर इंसान को आध्यात्मिकता की बहुत जरूरत है।
क्योंकि लोगों के पास पैसा, पावर, परिवार, मकान, धन, सुंदरता, फैन फोलोविंग और वे सब चीजें मौजूद हैं, जिन्हें समाज में खुशी का आधार माना जाता है पर वास्तविकता में देखा जाये तो उनके जीवन में खुशी है ही नहीं, उनका जीवन पूरी तरह से खोखला है और इस खोखलेपन को वे दारू, सिगरेट, नाइट पार्टी आदि से भरते हैं तब भी उनका जीवन खोखला ही रहता है, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता है कि यह खोखलापन केवल आध्यात्मिकता और भक्ति से ही भर सकता है। पर अज्ञानता के कारण लोग वहीं फसे रह जाते हैं और जो आध्यात्मिकता की ओर जाता है, उसे हतोत्साहित करते रहते हैं कि हम यहॉ फंसे हैं तो तुम भी यहीं आकर फंसो।
अमोघ के जीवन में क्या संघर्ष रहा | Amogh lila Prabhu struggle life story
अमोघ जी बताते हैं कि वे 12 वीं के बाद वर्ष 2000 से ही Hare Krishna Devotees के संपर्क में आ गये थे और वर्ष 2000 से 2004 के बीच उनके ग्रेजुऐशन पीरियड में वे लगातार इस्कॉन के भक्तों के संपर्क में रहे।
उन्हें भी संसार के विकारों और आकर्षणों ने घेरा, पर इस दौरान वे हमेशा अपनी आध्यात्मिकता और भक्ति पर काम करते रहे, जिससे कभी भी विकार उन पर हावी नहीं हो पाये और उन्हें कभी इस बात का आभाष ही नहीं हुआ कि उन्हें इस सबसे संघर्ष करना पड रहा है। ये सभी प्रकार के विकार अपने आप ही दूर होते चले गये।
उनके साथी दोस्त और सहकर्मी भी कभी-कभी उनका मजाक उडाया करते थे कि अबे ये क्या कर रहा है? इसमें कुछ नहीं रखा, तू हैंडसम है, इस समय तो तेरे हाथ में किसी लड़की का हाथ होना चाहिए था पर तू जप माला लेकर घूम रहा है।
अमोघ जी Amogh Lila बताते हैं कि इन सब बातों का उन पर कभी कोई प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि वे हमेशा अपनी आध्यात्मिकता और भक्ति पर काम करते रहे तो इसलिए सबकुछ आसान होता चला गया।
अमोघ YouTube Star कैसे बने:-
जब अमोघ दास Amogh Lila नये-नये ब्रम्हचारी बने तो उस समय वे मायापुर धाम में रहते थे तो उसी दौरान उनकी मुलाकात हरे कृष्णा टीवी के सदस्य श्री राधा रसिकदास प्रभु से हुयी।
उन्होंने अमोघ से कहा कि मैं आपके कुछ वीडियो शूट करना चाहता हॅू तो अमोघ बोले कि प्रभुजी मायापुर धाम में बड़े-बड़े दिग्गज वैष्णव संन्यासी हैं, आप उनके वीडियो बनाइये, मैं तो एक छोटा सा ब्रम्हचारी हॅू।
तब श्री राधा प्रभु जी बोले कि सबके वीडियो शूट किये जा रहे हैं, तो मैं चाहता हॅू कि कुछ वीडियो आपके भी शूट कर लिये जायें। तो अमोघ दास Amogh Lila के कुछ वीडियो शूट करके चैनल पर अपलोड किये गये तो वे वीडियो चल गये, जिससे अमोघ धीरे-धीरे फेमस हो गये।
तो श्री राधा प्रभु, अमोघ लीला दास से बोले कि आपके सारे के सारे वीडियो यूट्यूब पर चल रहे हैं तो मुझे लगता है कि आपको कुछ और वीडियो शूट कराना चाहिए। तब दिल्ली के द्वारिका इस्कॉन में अमोघ के इस बार 40 वीडियो शूट कर अपलोड किये गये, और वे सब वीडियोज भी हिट हो गये।
इसके बाद 40 और वीडियो शूट किये गये इस प्रकार अमोघ लीला प्रभु जी के 100 वीडियो शूट किये गये जो सारे के सारे वायरल हो गये और अमोघ जी YouTube Star बन गये।
इस समय अमोघ लीला प्रभु जी के वीडियो My Ashraya और Hare Krsna TV यूट्यूब चैनल पर अपलोड किये जाते हैं।
हमें भक्ति क्यों करना चाहिएः–
दुनिया में अस्थाई सुख और आनंद पाने के कई उपाय है, लेकिन वो सुख कुछ समय के लिए आता है और चला जाता है, पर यदि हमें स्थाई रूप से सुख और आनंद पाना है तो वह केवल और केवल भक्ति से ही मिल सकता है।
हमारे समाज में सब प्रकार के सुखों की व्यवस्था की गयी है इन्द्रियों को सुख देने के लिए स्वादिष्ट भोजन, कुछ सुंदर देख लेना, कुछ कोमल छू लेना आदि इन सबसे इन्द्रियों को सुख मिलता है।
शारीरिक सुख की भी व्यवस्था है, मानसिक सुख की भी व्यवस्था है पर आध्यात्मिक सुख की कोई व्यवस्था नहीं है। भक्ति करने से ही यह आध्यात्मिक सुख और संतुष्टि हमें मिल सकती है इसलिए भक्ति करना चाहिए। भक्ति इंसान को जिम्मेदार, जागरुक और स्वाबलंबी बनाती है तथा इंसान को लापरवाह से बेपरवाह बना देती है।
आपके प्रश्नों का जवाब –
प्रश्न:- क्या इस्कॉन संस्था भक्ति के नाम पर विदेशो में पैसा भिजवाती है?
उत्तर:- नहीं, इस्कॉन पूरी दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाली संस्था है।
प्रश्न:- इस्कॉन संस्था युवाओं का ब्रेन वॉश करती है?
उत्तर:- अमोघ लीला दास जी Amogh Lila कहते हैं कि इस्कॉन के अंदर 99.99 % प्रतिशत लोग ग्रहस्थ जीवन जीते हैं।नौकरी के लिए, देशभक्ति के लिए और सामाजिक कार्यों के लिए घर छोड़ना उचित है, शादी के बाद लड़की का अपनी मॉ का घर छोड़ना उचित है तो भगवान के संदेश को फैलाने के लिए घर छोड़ना अनुचित कैसे हो सकता है
प्रश्न:- क्या इस्कॉन संस्था पैसा कमाने का अड्डा है?
उत्तर:-अकेले इस्कॉन द्वारिका में जन्माष्टमी के दिन पॉच लाख लोगों को फ्री प्रसाद वितरित किया जाता है।
मंदिर के अंदर ही अनाथालय, स्कूल, अस्पाताल एवं बीजा आफिस संचालित हैं, इन समाज सेवा के कार्यों को संचालित करने के लिए पैसों की आवश्यकता तो होती ही है।
प्रश्न:-क्या इस्कॉन संस्था समाज के पैसे का दुरुपयोग करती है?
उत्तर:- समाज से आये हुये पैसे को इस्कॉन द्वारा संचालित कई तरह की सामाजिक गतिविधियों और समाज सेवा के माध्यम से समाज में ही वितरित किया जाता है।
प्रश्न:- अमोघ लीला दास विवाहित है या अविवाहित?
उत्तर:– अविवाहित।
प्रश्न:- अमोघ लीला प्रभु को भक्ति के अलावा और क्या आता है?
उत्तर:- क्रिकेट, बैडमिंटन, बॉलीबॉल, डांसिंग, पेंटिंग, सिंगिग, फुटबाल, ड्राईंग, फैंसी ड्रेस, कविता लेखन इसके अलावा भी बहुत कुछ।
प्रश्न:- अमोघ लीला दास पिछले जन्मों में क्या थे?
उत्तर:-उनके माता पिता ने किसी तांत्रिक से पूछा तो पता चला कि अमोघ पिछले दो-तीन जन्मों से संत हैं। और इस जन्म में भी 20-22 साल की उम्र में भगवान को ढूढ़ने घर से चला जायेगा।
प्रश्न:- क्या इस्कॉन वाले युवा बच्चों को फंसा लेते हैं?
उत्तर:- नहीं। सब अपनी स्वेच्छा और ईश्वर की भक्ति से प्रेरित होकर इस्कॉन में आते हैं।
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