इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम के पहले 10 दिनों में मुस्लिम संप्रदाय के लोग इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं
क्योंकि इस महीने के दसवी तारीख को ही हजरत इमाम हुसैन शहीद हुए थे। हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे।
ये इस्लाम के 4 पवित्र महीनों में से एक है। इस्लामा में मुहर्रम का अर्थ होता है हराम यानी निषिद्ध।
हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। इस दौरान यजीद नाम का एक तानाशाह शासक था जो जुल्म के बल राज हुकुमत करना चाहता था।
यजीद चाहता था कि इमाम हुसैन भी उनका कहना मानें, लेकिन उन्होंने यजीद की बात मानने से इंकार कर दिया।
मुहर्रम महीने की 2 तारीख को जब इमाम हुसैन अपने परिवार और साथियों के साथ कूफा शहर जा रहे थे, तभी रास्ते में यजीद को फौज ने उन्हें घेर लिया। वो जगह कर्बला थी।
10 मुहर्रम को इमाम हुसैन के साथियों और यजीद के सेना में मुकाबला हुआ और इमाम हुसैन अपने साथियों के साथ नेकी की राह पर चलते हुए शहीद हो गए।
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम की 10वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा (Ashura) कहा जाता है। यह दिन मातम का होता है।
इस बार मुहर्रम महीने की शुरूआत 31 जुलाई से हो चुकी है और 9 अगस्त, मंगलवार को हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुस्लिम समाज के लोग मातम मनाएंगे